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मदरसा बोर्ड समाप्त, सभी अल्पसंख्यकों को मिलेगा शैक्षिक संस्थान का समान दर्जा

सनातन की आड़ में छद्म वेशधारियों व जबरन धर्मांतरण करने वालों पर धामी सरकार सख्त है। ऑपरेशन कालनेमि के तहत अब तक चार हजार से अधिक लोगाें का सत्यापन किया गया। वहीं, धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन कर कड़े प्रावधान किए गए

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऑपरेशन कालनेमि, धर्मांतरण विरोधी कानून में सख्ती के साथ ही मदरसा बोर्ड को समाप्त हिंदुत्व के पुर्नजागरण अभियान को धार दी है। पुलिस के माध्यम से प्रदेश भर में ऑपरेशन कालनेमि चलाया जा रहा है। इस अभियान में 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें हरिद्वार से 162 लोग शामिल हैं। ऑपरेशन कालनेमि को धार्मिंक पहचान के आड़ में सनातन की आस्थाओं और परंपराओं से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ ठोस कदम माना जा रहा है।

सरकार ने जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक विधानसभा से पारित किया है। संशोधित कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति धन, उपहार, नौकरी, शादी का झांसा देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति शादी के इरादे से अपना धर्म छुपाता है, तो उसे तीन साल से 10 साल तक की सजा और तीन लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। महिला, बच्चा, एससी- एसटी, दिव्यांग या सामूहिक धर्मांतरण कराने के अपराध में अधिकतम 14 साल की जेल का प्रावधान किया गया है। इसी तरह धर्मांतरण के लिए विदेशी धन लेने पर सात से 14 साल की जेल और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना, जबकि जीवन भय दिखाकर धर्म परिवर्तन कराने जैसे मामले में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन के जरिए संपत्ति अर्जित करता है तो जिला मजिस्ट्रेट उसे जब्त कर सकता है
 

प्रदेश में मदरसा बोर्ड होगा समाप्त
धामी सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के दर्जे पर मुस्लिम समाज का एकाधिकार समाप्त कर दिया है। इसके लिए मानसून सत्र में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान विधेयक पारित किया गया। अब सिख, ईसाई, जैन समेत सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक समुदायों को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा हासिल हो सकेगा। अल्पसंख्यक संस्थानों में मुस्लिम समुदाय का एकाधिकार खत्म करने वाला यह देश का पहला कानून होगा। राज्य में उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को दर्जा प्रदान करेगा।

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