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उत्तराखंड में भूस्खलन की पूर्व चेतावनी देने के लिए वाडिया संस्थान करेगा अर्ली वार्निंग सिस्टम की स्थापना

राज्य में पहली बार चकराता में भूस्खलन को लेकर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जाएगा। यह सिस्टम वाडिया संस्थान लगायेगा और संबंधित क्षेत्र में होने वाली भूगर्भीय हलचल पर नजर रखेगा। चकराता में अनुभव के आधार पर भविष्य में अन्य जगहों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम को लगाने को लेकर कोशिश होगी।

राज्य आपदा की दृष्टि से संवेदनशील रहा है। भूस्खलन जैसी घटनाएं खासकर मानसून के समय काफी होती है। ऐसे में लंबे समय से भूस्खलन आदि प्राकृतिक आपदा की पूर्व सूचना देने के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम को विकसित करने की बात हो रही है। इस दिशा में वाडिया संस्थान ने भी पहल की है। संस्थान चकराता में भूस्खलन के मद्देनजर अर्ली वार्निंग सिस्टम को लगाने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) मदद कर रहा है।

वाडिया संस्थान की वैज्ञानिक स्वप्नमिता चौधरी कहती हैं कि संबंधित जगह पर बारिश का डेटा, सरफेस पानी के बहाव के दबाव आकलन करने के लिए उपकरण लगाए जाएंगे। इसके अलावा पहाड़ पर दरार, स्लोप पर नजर रखने के साथ उसके अंदर होने वाली हलचल पर नजर रखने के लिए भी उपकरण लगाए जाएंगे। इसके अलावा एक स्मार्ट कैमरा भी लगेगा, जो हर वक्त संबंधित क्षेत्र में होने वाले बदलाव पर नजर रखने के साथ लगातार फोटोग्राफ भेजेगा। संस्थान अलग- अलग मौसम में खासकर बरसात के समय पर होने वाले बदलाव का अध्ययन करेगा। कम से कम दो साल बाद इस अध्ययन के बाद बताने भूस्खलन की पूर्व चेतावनी देने की स्थिति आ सकेगी। चकराता के अनुभव के आधार पर भविष्य में अन्य स्थानों पर भी यह सिस्टम लगाने का रास्ता खुलेगा।

पिछले साल आपदा में कई लोगों की असमय मौत हुई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार पिछले साल 15 जून से अब तक राज्य में आपदा से 90 लोगों की मौत हुई और 87 घायल हुए थे। इसके अलावा 28 लोग लापता हुए थे।

पिछले साल कई भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ऐसे 62 बड़े भूस्खलन को रिपोर्ट किया है। इसमें सबसे अधिक भूस्खलन की घटना जुलाई में हुई। रिपोर्ट के अनुसार मई में एक और जून में दाे भूस्खलन के मामले सामने आए। पर जुलाई के महीने में संख्या 24 पर पहुंच गई। अगस्त में 12, सितंबर में 14, अक्तूबर और नवंबर के महीने में एक- एक भूस्खलन की घटना सामने आयी थी।

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