रिपोर्ट में शामिल कई फोटोग्राफ और वीडियो भी कोर्ट में पेश किए गए। पिछली तारीख को कोर्ट ने गांव वालों की समस्या जानने के लिए दो न्यायमित्र नियुक्त करते हुए उनसे रिपोर्ट मांगी थी।
कोर्ट ने डीएफओ बागेश्वर, स्टेट लेबल की पर्यावरण सुरक्षा अथॉरिटी, जिला खनन अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए जवाब पेश करने के लिए भी कहा था। दरसअल, ग्रामीणों ने समाचार पत्र से हुई वार्ता में कहा था कि उनकी बात न तो डीएम सुन रहे है और न ही शासन व प्रशासन। ग्रामीण वासी खुद को विस्थापित किए जाने की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना था कि जिनके पास साधन थे वे हल्द्वानी बस गए लेकिन गरीब गांव में ही रह गए।
अवैध खड़िया खनन करने से गांवों, मंदिर, पहाड़ियों पर बड़ी बड़ी दरारें आ चुकी हैं। बारिश के दौरान इनमें पानी भरने से कभी भी भूस्खलन हो सकता है। कृषि भूमि नष्ट हो रही है। इस पर रोक लगाई जाए और उन्हें सुरक्षित जगह पर विस्थापित किया जाए।
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नैनीताल हाईकोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगाई रोक, बड़ा हादसा टला”
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“बागेश्वर में अवैध खड़िया खनन पर कोर्ट ने रोक लगाई, ग्रामीणों की विस्थापन की मांग”
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“नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, बागेश्वर में खड़िया खनन को किया स्थगित”
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“कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर रोक लगाते हुए प्रशासन से मांगी रिपोर्ट”
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“बागेश्वर में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान”
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“नैनीताल हाईकोर्ट ने खड़िया खनन से प्रभावित गांवों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित करने का निर्देश”
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“बागेश्वर में खड़िया खनन से कृषि भूमि और गांवों को खतरा, कोर्ट ने सख्त कदम उठाया”
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“अवैध खड़िया खनन से पहाड़ियों में दरारें, हाईकोर्ट ने प्रशासन को पेश होकर स्थिति बताने का दिया आदेश”
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“बागेश्वर में खड़िया खनन रोकने के आदेश, कोर्ट ने पर्यावरण सुरक्षा और खनन अधिकारियों से जवाब मांगा”
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“नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश, बागेश्वर में खड़िया खनन से पर्यावरण और गांवों पर हो रहे प्रभाव की जांच शुरू”