ऋषिकुल विद्यापीठ की जमीन को लेकर राजस्व प्रशासन गंभीर है। विद्यापीठ ब्रह्मचर्य आश्रम के नाम जमीन कब और किस वर्ष में दर्ज की गई इसका पूरा सजरा सहारनपुर से जुटाया जा रहा है। वहीं, भूमि को सुरक्षित करने के लिए कुछ व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी योजना बनाई जा रही है। भूमि पर फिलहाल, जिलाधिकारी प्रशासक और सिटी मजिस्ट्रेट सचिव नामित हैं। सिटी मजिस्ट्रेट ने भूमि का मौका मुआयना किया। माना जा रहा है कि इसकी पैमाइश करते हुए जल्द ही अतिक्रमण करने वालों पर भी कार्रवाई होगी।
विकास कॉलोनी स्थित ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रह्मचर्य आश्रम के नाम से जमीन मौजूद है। बीते दिनों इसे खुर्द-बुर्द करने की तैयारी कर ली गई। मामला जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस प्रकरण की जानकारी के लिए कमेटी गठित करते हुए रिव्यू फाइल कर दिया। फिलहाल भूमि की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी हुई है।
इस बीच आश्रम की जमीन का संरक्षण कर रही सचिव सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान दस्तावेजों को जुटाने में लग गई हैं। माना जा रहा है कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद की तहसील होने के कारण अभिलेखों के मूल दस्तावेजों का मुआयना सहारनपुर जिला मुख्यालय पर स्थित बंदोबस्त कार्यालय और अभिलेखागार में किया जा रहा है। दस्तावेजों की पड़ताल लगभग पूरी हो चुकी है और दाननामा भी राजस्व प्रशासन के हाथ में है। ऐसे में अब जिला प्रशासन मजबूत आधार के साथ इस मामले को राजस्व परिषद के समक्ष रखेगा।
बताया जा रहा है कि देहरादून स्थित राजस्व परिषद में श्याम सुंदर सिंघानिया नामक व्यक्ति ने इस भूमि पर अपना स्वामित्व बताते हुए एक वाद दायर किया था। राजस्व परिषद ने जब मामले की सुनवाई की तो उस दौरान अभिलेखों और साक्ष्य के अभाव में विद्यापीठ की करोड़ों की भूमि तनहा खाते के तौर पर दूसरे के नाम दर्ज कर दिया गया। इसमें तहसील प्रशासन ने भी कोई विचार विमर्श नहीं किया और संपत्ति के अभिलेखों में परिषद के आदेश का आधार बनाते हुए नाम दर्ज कर दिया।
जिस करोड़ों रुपये की जमीन को लेकर राजस्व परिषद से लेकर जिला प्रशासन तक हड़कंप मचा हुआ है, उसके जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं, इसमें निर्वाणी अखाड़े के रिकॉर्ड भी अहम साबित होंगे। यह भूमि निर्वाणी अखाड़े ने वर्ष 2013 में ऋषिकुल विद्या पीठ ब्रह्मचर्य आश्रम को दान में दी थी। दाननामा सहारनपुर के मुआफिस खाने से मंगवाया गया है।
ऋषिकुल विद्यापीठ की भूमि को संरक्षित करने के लिए प्रशासन इसे रानीपुर मार्केट के सघन आबादी क्षेत्र में वाहन पार्किंग या बरातघर के रूप में व्यावसायिक दृष्टिकोण से उपयोग में लाने की तैयारी में है। प्रशासन का मानना है कि पहले तो पैमाइश कराने के साथ ही इसकी चहारदीवारी बनाई जाएगी। वहीं, वाहन पार्किंग का संचालन करते हुए इससे आय के श्रोत बनाए जाएंगे। मौके का मुआयना करने पहुंची सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान ने कहा कि फिलहाल अभी इसकी पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जा रही है। बाद में किस मद से खाली पड़े प्लॉट को उपयोग में लाया जा सकता है इस पर विचार होगा।