राज्य में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों बीच वन्य जंतुओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। वन विभाग वन्य जंतुओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, इसके अलावा वह नए प्रयास भी कर रहा है। इसमें वास स्थलों में सुधार के तहत अवनत वनों को पुराने स्वरूप में लाने की कोशिश के साथ ही स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के तहत वन कर्मियों की नियुक्ति कर तैनाती की जानी है।
आरटीआर में डब्ल्यू- 3 मॉडल के दूसरी जगह ट्रायल की तैयारी राजाजी टाइगर रिजर्व में जल प्रबंधन के लिए पांच साल पहले वेल, वाटर होल्स और वाइल्ड लाइफ मॉडल लागू किया गया। आरटीआर के उप निदेशक गर्मी के समय वन्यजीवों के लि, जल उपलब्धता एक चुनौती रही है। वन्यजीव पानी पीने के लिए आबादी क्षेत्रों की तरफ ही चले जाते थे।
अधिकाशं क्षेत्र भाबर क्षेत्र तथा पहाडी क्षेत्र में स्थित होने के कारण बोरिंग के माध्यम से जल उपलब्ध कराना भी सम्भव नहीं था। पांच साल पहले राजाजी टाइगर रिजर्व के धौलखंड और चिल्लावाली रेंज में क्षेत्र क्षेत्रीय भौगोलिक तथा भूगर्भीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चार रेंजों में नौ कुओं का निर्माण किया गया। इसमें ग्रेवीटी के माध्यम से 35 वाटर होलों (कृत्रिम जलाशय) को कुओं से जोड़ा गया। इससे जंगल के वास स्थल में सुधार हुआ।
वॉटर होल के पास पक्षियों की संख्या बढ़ी है। यहां पर हिरन से लेकर तेंदुओं की खासी संख्या हो गई है। यहां पर तेंदुओं को देखे जाने के मामले में नंबर वन पर पहुंच गया है। भविष्य में राजाजी टाइगर रिजर्व के मोतीचूर, रवासन, चीला रेंज में इसी मॉडल से वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, अधिकारियों के मुताबिक कार्बेट टाइगर रिजर्व में ऐसी शुरूआत करने की योजना है।