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राजधानी के सरकारी स्कूल बेहाल: भवन खंडहर, पेड़ छत पर, और शिक्षक खामोश

सुमित थपलियाल, जागरण देहरादून। राजधानी में सरकारी स्कूल की बात हो तो दिलो-दिमाग में एक छवि बनती है। अच्छे भवन, साफ-सुथरे कक्षा कक्ष, खेल मैदान, शौचालय, रसोई घर, बिजली-पानी आदि सभी सुविधाओं और संसाधनों से परिपूर्ण होना। साथ में पढ़ाई का बेहतरीन माहौल। लेकिन शिक्षा का हब कहे जाने वाले शहर के प्राथमिक विद्यालयों को हाल जानेंगे तो दंग रह जाएंगे।

कई सरकारी प्राथमिक स्कूलों की स्थिति बदतर है। भवन जवाब दे रहे हैं। सरकारी का तमगा लगा है इसलिए जैसे-तैसे व्यवस्था चलाई जा रही है। यह हाल तब है जब खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जर्जर स्कूलों में बच्चों को न भेजने के निर्देश दे चुके हैं। शिक्षा मंत्रालय ने भी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और सुविधाओं का आडिट अनिवार्य कर दिया है।

शिक्षक परेशान हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अधिकारियों को इस बारे में पत्र भेज दिया है लेकिन काम जल्द शुरू करने के आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं होता। दैनिक जागरण ने शनिवार को कुछ स्कूलों में जाकर जो वस्तुस्थिति देखी वह कई सवाल खड़े वाली है।

 

राजकीय प्राथमिक विद्यालय चुक्खूवाला-1:

किराये के भवन में संचालित राजकीय प्राथमिक विद्यालय चुक्खूवाला के ऊपरी मंजिल के दोनों कमरों में टिन की छत से कई जगह पानी गिरता है। छत के नीचे लगी छत टूटी है। छत पर पेड़ उग आए हैं। दीवारों से कुछ जगह प्लास्टर उखड़ रहा है और सीलन के कारण काई जमी है। इन कक्षों में बच्चों को पढ़ाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में शिक्षक बच्चों को बाहर बरामदे में पढ़ाते हैं।

सर्दियों में अधिक ठंड तो गर्मियों में तपती टिन बच्चों को परेशान करती है। पंखा तो है लेकिन वह गर्म हवा फेंकता है। प्रधानाध्यापक ज्योत्सना नैथानी का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को इस सबंध में पत्राचार कर चुके हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है जल्द व्यवस्थाएं ठीक हो जाएंगी। तीन साल से स्कूल के भवन का किराया भी नहीं दिया गया है। स्कूल की छात्रसंख्या 51 हैं जिसमें 25 छात्र जबकि 26 छात्राएं हैं।

 

राजकीय प्राथमिक विद्यालय हकीकतराय नगर खुड़बुड़ा

पीने के पानी की टंकी में काई जमी है। स्कूल पूरी तरह खंडहर जैसा लग रहा है। आसपास झाड़ियों के साथ ही स्कूल की छत और दीवारों पर पीपल और अन्य पेड़ हैं। बरामदे की छत से वर्षा का पानी टपक रहा है। इससे परिसर तालाब बन गया है। कमरों में सीलन है। छत से सीमेंट उखड़कर ईंटें नजर आ रही हैं।

एक कक्ष के भीतर तो पेड़ की जड़ ने दीवार में मोटी दरार डाल दी है। यहां 22 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। तीन कक्षों में से दो में छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं जबकि तीसरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है। यहां 12 बच्चे भी पढ़ने आते हैं। आसपास फैली झाड़ी के कारण वर्षाकाल के इस मौसम में मच्छर भी छात्रों को परेशान करते हैं। इस स्कूल भवन का निर्माण 1960 में किया गया था, लेकिन लंबे समय से न तो इसकी दीवारों पर रंग-रोगन हुआ और ना ही इसकी मरम्मत।

 

राजकीय प्राथमिक विद्यालय इंदिरा कालोनी

इस विद्यालय में साफ-सफाई तो है लेकिन दीवारों से सीलन के साथ काई जमी है। ऊपरी मंजिल में एक कक्ष में हल्की दरार भी आ गई है। यहां पर चार कक्ष हैं जिसमें एक पर कार्यालय जबकि तीन कक्षा के रूप में संचालित होते हैं। ऊपरी वाले कक्षों में सीलन के चलते वहां पर बदबू से परेशानी होती है। बाहर भी छत से नीचे दीवार पर पानी गिरने से अधिक सीलन है। प्रधानाध्यापक अर्चना गोयल ने बताया कि छात्रसंख्या 61 है जिसमें 34 छात्र जबकि 27 छात्राएं हैं।

 

अधिकारी लगा देंगे फटकार इसलिए खुलकर नहीं बोलते शिक्षक

पड़ताल के दौरान जब शिक्षकों से स्कूल की स्थिति को लेकर बात करनी चाही तो अधिकतर शिक्षक खुलकर कहने में हिचकते रहे। कई का कहना था कि वह इस बारे में कुछ ज्यादा नहीं कह सकते। बड़े अधिकारी आते हैं और डांट सुननी पड़ती है। समस्या तो है लेकिन कुछ नहीं बोल सकते।

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