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350 करोड़ से अधिक का नुकसान, लोनिवि ने 719 जेसीबी लगाई राहत कार्य में

बारिश, भूस्खलन और भूकटाव से राज्य में सड़कों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसके चलते राह कठिन हो गई है। प्रदेश में दो एनएच समेत 316 सड़कें बंद हैं। इसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोनिवि के अनुसार मार्ग को खोलने के लिए विभिन्न जगह पर 719 जेसीबी समेत मशीनों को तैनात किया गया है।

प्रदेश में तीन सौ से अधिक मार्ग बंद हैं, उसमें लोनिवि के अधीन 110 मार्ग और दो एनएच के मार्ग बंद हैं। इसके अलावा बीआरओ के अधीन एक मार्ग बंद है। सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र की संड़कें प्रभावित हैं। शुक्रवार को पीएमजीएसवाई के अधीन 233 मार्ग बंद थे, इसमें 30 को खोला जा सका है। अभी भी 203 मार्ग बंद हैं।

सबसे अधिक चमोली जिला प्रभावित
सबसे अधिक चमोली जिला प्रभावित है। यहां पर दो राज्यमार्ग समेत 57 मार्ग बंद हैं। रुद्रप्रयाग में पांच राज्यमार्ग, दो मुख्य जिला मार्ग समेत 56 बंद हैं। उत्तरकाशी में एक राष्ट्रीय राजमार्ग, तीन राज्य मार्ग समेत 38 सड़कें बंद हैं। टिहरी 33, पौड़ी 19, देहरादून 29, हरिद्वार एक, पिथौरागढ़ 32, चंपावत दो, अल्मोड़ा 15, बागेश्वर 26, नैनीताल सात और ऊधम सिंह नगर में एक मार्ग बंद है।

350 करोड़ हो चुका नुकसान
लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. पंकज पांडेय कहते हैं कि मानसून सीजन में अब तक लोनिवि को 350 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। जो मार्ग बंद हैं उनको खोलने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। उच्चाधिकारी मौके पर हैं। गंगोत्री मार्ग को खोलने में सफलता मिली है।

जंगलचट्टी के पास 200 मीटर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त
यमुनोत्री धाम पहुंचने की राह मुश्किल हो गई है। जंगल चट्टी के पास नदी के कटाव से दो सौ मीटर तक सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त(वॉश आउट) हो गई है। इसको आवागमन के लिए सुचारू बनाने में पांच दिन तक का समय लग सकता है।

यमुनोत्री धाम मार्ग पर स्यानाचट्टी से आगे जंगलचट्टी का क्षेत्र आता है। राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियंता मुकेश परमार कहते हैं कि काफी बारिश हुई है नदी का जल स्तर बढ़ा हुआ है। जंगलचट्टी के पास नदी से 200 मीटर तक कटाव हुआ है, यहां पर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। पहाड़ को काटकर रास्ता बनाना होगा। इसमें पांच दिन तक समय लग सकता है। बदरीनाथ मार्ग खुला हुआ है। बीच- बीच में कुछ दिक्कत आती है। कमेड़ा के पास भूस्खलन की समस्या है। पागल नाला के पास भी समस्या रहती है। धारी देवी के पास सड़क पर नदी का पानी आ गया था। बाद में जल स्तर कम होने के बाद मार्ग खुल गया था। संभवत: यह पहली बार है कि यहां पर नदी का जल स्तर बढ़ने पर उसका पानी सड़क पर आया हो। इसके अलावा केदारनाथ मार्ग सुचारू है।

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